भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी गई है. शिव शंभू की इस स्तुति में उनके दिव्य रूप का बखान किया गया है। आइये जानते है इस स्तुति का अर्थ। Karpur gauram karunavtaram in hindi.
सही मंत्र क्या है?
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
मंत्र का अर्थ – Karpur gauram karunavtaram in hindi
- कर्पूरगौरं– कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले.
करुणावतारं– करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं
संसारसारं– समस्त सृष्टि के जो सार हैं
भुजगेंद्रहारम्– इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं. - सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि– इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।
इस मंत्र को कब गाया जाता है?
किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारं मंत्र ही क्यों बोला जाता है, इसके पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं । भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी गई है । ये माना जाता है कि भगवान शिव जी शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी प्रवत्ति वाला है ।
लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य और सुंदर है । भगवान शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति । ये स्तुति इसी कारण से गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करे, शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं । ऐसे शिवजी हमारे मन में शिव वास कर, मृत्यु का भय दूर करें।